आने वाले एक-दो दिन में होगी भारत-चीन के कोर कमांडर स्तर की चौथी मीटिंग
आने वाले एक-दो दिन में होगी भारत-चीन के कोर कमांडर स्तर की चौथी मीटिंग
नई दिल्ली: सीमा पर तनाव कम करने के लिए अगले एक-दो दिन में भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर की चौथी मीटिंग होने जा रही है. माना जा रहा है कि इस मीटिंग में एलएसी पर दोनों देशों की सेनाओं के हेवी बिल्ट-अप को कम करने के साथ-साथ फिंगर एरिया और डेपसांग प्लेन्स पर चर्चा हो सकती है.
सूत्रों की मानें तो चीनी सेना ने फिंगर एरिया नंबर चार (04) से अपने कैंप और गाड़ियां तो पीछे हटाकर फिंगर 5 पर पहुंचा दिए हैं, लेकिन उसके कुछ सैनिक अभी भी फिंगर 4 की रिज-लाइन पर मौजूद हैं. जबकि डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के तहत भारतीय सैनिक फिंगर 3 तक पीछे हट गए हैं. इसके अलावा फिंगर 8 से फिंगर 5 तक भी चीनी सेना बड़ी तादाद में मौजूद है. दोनों देशों की सेनाओं के बीच टकराव कम करने के लिए बेहद जरूरी है कि चीनी सैनिक यहां अपना जमावड़ा कम करें. क्योंकि फिंगर-8 तक भारत अपना दावा करता है और इस इलाके में पहले पैट्रोलिंग भी करते आए थे.
डेपसांग प्लेन्स में भी टकराव की स्थिति
दौलत बेग ओल्डी यानि डीबीओ के करीब डेपसांग प्लेन्स में भी भारत और चीन के सैनिकों के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. डेपसांग प्लेन्स का मुद्दा भी इस मीटिंग में उठ सकता है. इसके अलावा एलएसी पर दोनों देशों के सैनिकों की संख्या कए कम करने का मुद्दा भी इस मीटिंग में उठ सकता है.
72 हजार अतिरिक्त ‘सिग-716’ राइफल खरीदने पर विचार कर रही सेना
इस बीच खबर है कि भारतीय सेना अमेरिका से 72 हजार अतिरिक्त ‘सिग-716’ राइफल खरीदने पर विचार कर रही है. अमेरिका की सिगसोर कंपनी इन शूट टू किल राइफल को बनाती है. आपको बता दें कि पिछले साल यानि फरवरी 2019 में भारत ने 72400 सिग716 राइफल का करीब 700 करोड़ में सौदा किया था. इसमें 4000 राइफल वायुसेना, 2000 नौसेना और बाकी (66 हजार) थलसेना के लिए थीं. इस सौदे की खेप थलसेना को मिलनी शुरू हो गई है. लेकिन चीन से चल रहे विवाद को देखते हुए थलसेना अब सीधे 72 हजार अतिरिक्त सिग716 राइफल खरीदेने का मन बना रही है.
खबर ये भी है कि इजरायली कंपनी आईडब्लूआई अपने भारतीय पार्टनर के साथ मिलकर अपनी दो नई राइफल- अराड और कारमेल बनाने जा रही है. इन ज्वाइंट वेंचर का प्लांट मध्य प्रदेश के मलनपुर में है जहां पहले से ही टेवॉर गन का उत्पादन वर्ष 2017 से हो रहा है. इन टेवॉर गन्स को भारत की सेनाओं के साथ-साथ एक्सपोर्ट भी किया जाता है.
रूस के साथ भारत का सरकारी रक्षा संस्थान, ओएफबी यानि ओर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड भी एके-203 बनाने जा रहा है. इसके लिए दोनों देशों में करार हो चुका है और इसका प्लांट उत्तर प्रदेश के कोरवा (अमेठी) में है. लेकिन अभी तक वहां उत्पादन शुरू नहीं हो सका है.