सावधान: मोबाइल क्लोनिंग हो सकता है आपके लिए बड़ा खतरा, जानें इसके बारे में जरूरी बातें

मोबाइल फोन क्लोनिंग का इस्तेमाल पिछले कई सालों से हो रहा है। इस टेक्नॉलॉजी द्वारा क्लोन किए जा रहे फोन के डेटा व सेलुलर आइडेंटिडी को नए मोबाइल फोन में कॉपी किया जाता है। हालांकि, किसी के मोबाइल की क्लोनिंग निजी तौर पर नहीं की जा सकती। ऐसा करना गैरकानूनी है। सरकारी अधिकारी यूजर के मोबाइल डेटा को एक्सेस करने के लिए कानूनी तौर पर फॉरेंसिक से सहायता लेते हैं। इस प्रक्रिया में अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल स्टेशन उपकरण पहचान (आईएमआई) नंबर की ट्रांसफरिंग भी होती है।
फोन क्लोनिंग से कुछ ही मिनटों में मोबाइल का सारा डेटा दूसरे डिवाइस में पहुंच जाते हैं। पहले डेटा कॉपी करने के लिए मोबइल हाथ में रखना जरूरी होता था, लेकिन एडवांस और डिजिटल हो रही स्मार्टफोन की दुनिया में अब ऐसा करने की भी जरूरत नहीं रही। केवल ऐप के इस्तेमाल से फोन क्लोनिंग हो सकती है।
क्लोनिंग प्रक्रिया कम्पलीट होने के बाद, पुराने मोबइल की व्हाट्सऐप चैट को नए फोन के क्लाउड में मौजूद रिसेंट बैकअप स्टोर में जाकर एक्सेस कर सकते हैं या फिर आईक्लाउड के गूगल ड्राइव में जाकर भी एक्सेस कर सकते हैं। यह इस पर निर्भर करता है कि आपके पास मोबाइल फोन कौन-सा है।
व्हाट्सऐप ने अपने FAQ पोस्ट में बताया है कि मोबाइल का बैकअप फोन नंबर और गूगल अकाउंट से जुड़ा होता है। इसका मतलब यह हुआ कि कोई भी व्यक्ति आपके बैकअप से चैट को आसानी से हासिल कर सकता है। हालांकि, फोन क्लोनिंग में रीसेंट बैकअप की सहायता से चैट्स को ट्रांसफर कर सकते हैं।